अन्नफूट पर बोले जाने वाला भजन

अब तो जाईयेरा सोनारा रुपनारायण
भल जावो राजा रुपजी
आवो जनक सीता मोइयो दशरथ रा सब देवता
हारे हा रे हा आनंद भयो
या/ अथवा
और कोई भी फागो के भजन बोल सकते है


माघ सुदी दसम (१०) के दिन वीरघंटा के नीचे का भजन”

अबतो जाइयेरा सोनारा रुपनारायण
अब दरसण दीज्यो ने हीयो सुख उपजे
हारे हा दरसण दरमल होई
अबमाता जो आपरी वाता सुणीजे
अब सेजनाथ ज्यारो
अबददेवल श्याम सुकलश वन्दावो ए
अब जाईयेरा सोनारा रुपनारायण

सखी नन्द कुमार ब्रज की नार
सखी कलश वन््दावो ए ब्रज की नार
सखी पुसब वन्दावो ए ब्रज की नार
आवो आम्बे मोर कसनार जो फूली
...............फुलाग सहीए ए सभी कलश बन््दावो ए ब्रज की नार ||
आवो नवनव सीर कसूम्बल पेश
................पेरणसहीएए सभी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार | |
आवो ताल मरदंग हसली जो वाजे
.................बाजण सहीए एसभी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार ||
आवो राधा नरुकमण फाग जो खेला
...............खेलण सहीए ए सखी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार ||
आवो महंत कबीरा सुणो रे भाई साधु हरिचरणा गुणे गई ओ
.......................एसखी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार | |


“भल जावो राजा रुपजी ”

भल जावो राजा रुपजी
आवो देख्या रुप भूप सब पुरब दर्शन रुपाला रो वचन आ सेवन्त्री
आवो वायर वाजे ने दीयो मेरा प्रभुजी, आऊला दशम री बेल
आवो उध्दव हसे प्रकाश जो दीज्यो दर्शन रुपाला रो वचन आ सेवन्त्री
आवो उचा मंदिर धजा आप विराजे, धरणे धपी रो मनाव
आवो आपरी जोत परकाश जो दिज्यो दर्शन रुपाला रों वचन ओ सेवन्त्री
आवोमन विश्वास न हीयो मेरा प्रभुजी , चल्या रे द्वारका का जाय
आवोशंख चक्र चारो भुज बिराजे गला माला तुलसी रो वचन आ सेवन्त्री
आवो दूरा देशा रा जातरी आवे दर्शन रुपाला रो वचन आ सेवन्त्री
आवो शीतल जल गोमती रो सहिज्ये दर्शन रुपाला रो वचन ओ सेवन्त्री


“सियाला में रसोडा के पास बोले जान वाला भजन”

आवो जनक सीता मोइयो दशरथ रा सब देवता
आवो बडे बडे भोपाल जो आये
दसम सख वेगा पधारो
आवो सबतो भएन की बाण मारयो, लक्ष्मण ज्यारे भाईयो दशरथ रा सब देवता
आवोएऐसो प्रण लियो है जानकी माता, रामचद्र वर मलज्यो विधाता
एजनक सुतारी ली है वरमाला, रामचंद्र जिज्यो गल माला
एकथन बनाए सुणिये अब साहेबा, चौरह भवन दोऊ मलज्यो रघुरामजी
एजायसीताजी पाय जो लागा, फेरलियो वरमाला ओ दसवा रा सब देवता
एसिताजी रो वचन सुणताए
ततताई ओ तत्काल रामजी ततआई धनुष तोडीयो ओ दसवा रा सब देवता
एपरशरामजी री सुणीए वार्ता, फरसारो होवे अयोध्या मे वासा
एदेखी ने सुणज्यो गावेला दासा, फरसारो होवे अयोध्या मे वासा
एसुरज कामी मगन भयो दासा, आनंद स्वरुपजस गावे ओ दशरथ रा सब देवता


" आरती "

हा रे हा रे हा आनंद भयो
अब घर घर आनंद वदावो बोलावो
अब घर घर आनंद पुसब वन्दावो
अब घर घर घर आनंद कलश वन्दावो
अब घर घर आनंद प्रभुजी वन्दावो
अब घर चालो ए सखी आपी देखण चाला
ए नन्द राय जीरा कुवंर कन्हैया
अब जे जे कार बरे उपर वारे, पुसवन की वर्षा वर्षायी
ए मोर मुकूट पर कुन्डल शोभा,
मुरलीरी शोभा माने वर्णी जावे
अब सावरी सुरत पर राधेजी लपरायी
अबले हंसलो राणी रतन जडाई
गज मोतियन को चोक पुराउओ
अबले हंसलो राणी रतन जडाई हो
अब प्रभुजी री आरती मलमल होई
अब करत आरती मात जशोदा
कचंन थाल कपूर की बाती
अब ध्रुव प्रहलाद आरती उतारे
अब द्वारका में देवाजी आरती उतारे
अब देवाजी रो वचन रुपाला जी निभावे
अब अंग अंग री आस पुरायी ओ
अब खेमदास प्रभु भयो रे बलिहारी