“जलझुलनी के भजन ”

ए) “जलझुलनी पर वीरघंटा के नीचे बोले जाने वाला भजन”

अब तो जाईयेरा सोनारा रुपनारायणजी ...............................
राये रुपरो सुकराती रतवा ..........................

बी) “जलझुलनी पर मंदीर के पीछे बोले जाने वाला भजन ”

इन्द्रघटाओ असाड आयो हरि बोलो मेरा श्याम .........................

सी) “जलझुलनी पर मंदीर के सामने बाजार में बोले जाने वाला भजन”

थापरवाडी ओ मोतीडा वाला ...............................
या/ अथवा
राजा रे प्यारामाने लागे ओ ..............................

डी) “जलझुलनी पर धरुपोल के बाहर बोले जाने वाला भजन”

गरजे मन वेगा पधारो हरि बोलो मेरा श्याम ..............................

ई) “जलझुलनी पर देवाजी के वास के बाहर बोले जाने वाला भजन ”

असाड रतरो हिन्दोलणो ए रेण की गमगोर .........................

एफ) “जलझुलनी पर कन्याशाला / राजमलजी के घर के पास बोले जाने वाला भजन”

अबमोए द्वार का लाल हो कानजी शम्भु राधे प्यारी ......................

जी) “जलझुलनी पर भीलवाडा पर बोले जाने वाला भजन ”

लाल प्यारे गावोनी हरे, ओ लाल प्यारे .......................
या/ अथवा
या मन्दोदरी का भजन
भगवान का नियावल
या/ अथवा
कोई भी फाग का भजन बोल सकते है |

एच) “जलझुलनी पर वाग / रेतुली राईण के पास बोले जाने वाला भजन

एरघुजारी शोभा माने प्यारी ओ रघुनारी शोभा माने प्यारी ..............

आय) “जलझुलनी पर आमल्डा के चौखट पर बोले जाने वाला भजन ”

आवोजलजमना मलियाओ राधे गोविंदा .......................

जे) “जलझुलनी में वापस आते समय वाग | रेतुली राईण के पास बोले जानेवाला भजन”

एएक सुणोनी ब्रजनारी ओ एक बात सुणोनी ब्रजनारी ................

के) “जलझुलनी में वापस आते समय भीलवाडा के पास बोले जाने वाला भजन”

सखी री ओ धन धन सियाजी रो भाग ओए आरी ओ ....................
या/ अथवा
और काई भी फागो का भजन बोल सकते है

एल) “जलझुलनी पर वापस आते समय चोरा पर बोले जाने वाला भजन”

ए अखियत से मत डारो सावरे पिचकारी ओ आज .....................
(और कोई भी फागो का भजन बोल सकते है)

एम) “जलझुलनी पर वापस आते समय मंदीर के सामने बाजार में बोले जाने वाला भजन”

एरतवन्तहसंपिया प्यारे ............................
या/ अथवा
(और कोई भी फागो का भजन बोल सकते है)

एन) “जलझुलनी पर वापस आते समय वीरघंटा के नीचे बोले जाने वाली आरती ”

गावो नी मंगल गावो नी वदईयो ................................

५) गोगा नवमी पर मंदीर में बोले जाने वाला भजन

आवोसरसंतमल्याओ राधे गोविंदा .............................
और
हारे हा रे हा आनंद भयो

६) कुण्डपर बोले जाने वाला भजन

जल जमना मलियाओ राधे गोपिका

७) अन्नफूट पर बोले जाने वाला भजन

अब तो जाईयेरा सोनारा रुपनारायण
भल जावो राजा रुपजी
आवो जनक सीता मोइयो दशरथ रा सब देवता
हारे हा रे हा आनंद भयो
या/ अथवा
और कोई भी फागो के भजन बोल सकते है

माघ सुदी दसम (१०) के दिन वीरघंटा के नीचे का भजन”

अबतो जाइयेरा सोनारा रुपनारायण
अब दरसण दीज्यो ने हीयो सुख उपजे
हारे हा दरसण दरमल होई
अबमाता जो आपरी वाता सुणीजे
अब सेजनाथ ज्यारो
अबददेवल श्याम सुकलश वन्दावो ए
अब जाईयेरा सोनारा रुपनारायण

सखी नन्द कुमार ब्रज की नार
सखी कलश वन््दावो ए ब्रज की नार
सखी पुसब वन्दावो ए ब्रज की नार
आवो आम्बे मोर कसनार जो फूली
...............फुलाग सहीए ए सभी कलश बन््दावो ए ब्रज की नार ||
आवो नवनव सीर कसूम्बल पेश
................पेरणसहीएए सभी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार | |
आवो ताल मरदंग हसली जो वाजे
.................बाजण सहीए एसभी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार ||
आवो राधा नरुकमण फाग जो खेला
...............खेलण सहीए ए सखी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार ||
आवो महंत कबीरा सुणो रे भाई साधु हरिचरणा गुणे गई ओ
.......................एसखी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार | |

“राये रुप राये सुकराती रतवा”

राये रुप राये सुकराती रतवा
अब डकणी रा सीर काजलिया री रेखा
राये रुप राये सुकराती रतवा
राधाजी रो सीर कदम्ब पर हे रो
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब ढोल नगांरा शहणाई जो वाजे
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब हसती घोडा ओ प्रभु संग मे जो चाले
राये रुप राये सुकूराती रतवा
अब द्वारका पुरी ओ प्रभु नेसाणा ओ आवे
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब मोर मुकूट पर कुन्डल शोभा
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब दुरा देशा रा प्रभु जातरु आवे
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब जल झुलनी ओ प्रभु वेगा पधारो
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब जल झुलनीओ प्रभु जुलवा पधारो
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब देवाजी के ओ प्रभु रुपनारायण
राये रुप राये सुकराती रतवा

“चौमासा मे मन्दिर के पीछे बोलने का भजन”

इन्द्रघटाओ असाड आयो हरि बोलो मेरा श्याम इन्द्रघटाओ असाड आयो
नेनी नेनी बून्द पडत अणी ब्रज पे
भीजे मेरा कुवँर कन्हैया हरि बोलो मेरा श्याम मेहर घटाओ असाड आयो
आवो को ण्यो इन्द्र आज एसो अणी ब्रज पे
ब्रज को लेऊ नेवाय हरि बोलो मेरा श्याम मेहर घटाओ असाड आयो
आवोएक नख पर गिरवर धारयो
इन्द्र को गरब हरायो हरि बोलो मेरा श्याम इन्द्रघटाओ असाड आयो
आवोसुरदास प्रभु तुमरे भजन से
राधेजी खेले कन्हैया हरि बोलो मेरा श्याम मेहर घटाओ असाड आयो

“नही छोड बाबा अब रामनाथ”

थापरवारी ओ मोतीडावाला रुपचरणो हो सत लाग्यो

आवो ओमा तो सामा देवराजी थारे सुरजसामी ओ पोल चरणो हो सत लाग्यो
आवो वागो विराजे केशरियाजी थारे माथे ओ पसरंग पाग चरणो हो सत लाग्यो
आवो मोर मूकूटरी शोभा वरणीजी थारे कुन्डल झलके जो कान चरणो हो सत लाग्यो
आवो सरिया कटारो वाकलोजी थारे असल सिरोही तलवार चरणो हो सत लाग्यो
आवो हाथा में सोवे रंगभर सेलडाजी थारे असल गेडारी ओ ढाला चरणो हो सत लाग्यो
आवो कोट बिराजे कांगराजी थारे हत्ती घुमेओ दरबार चरणो ओ सूत लाग्यो
आवो गावेला सेवको प्रेमराजी थारे लुल लुल लागुजी पाव चरणो हो सत लाग्यो

"बारह मास भजन”

राजा रे प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे आमा तो सामा दोई देवरा
राजा रे सुरज सामी ओ सेजे पोल प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे वागो बिराजे प्रभु केशरिया
राजा रे माथे है पसरंग सेजे पाग प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे मोर मुकूटरी शोभा वरणी
राजा रे कुण्डंल झलके सेजे कान प्यारा माने लागोओ राजा रुपाजी
राजा रे सरिया कटारो सोवे वाकलो
राजा रे असल सिरोही तलवार प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे हाथा में सोवे रंगभर सेलडा
राजा रे असल गेडारी ओ ढाल प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे कोट बिराजे प्रभु कांगरा
राजा रे हस्ती घुमेओ दरबार प्यारा माने लागोओ राजा रुपजी
राजा रे दशम रेवाडी प्रभु निकले
राजा रे दूरा देशा रा आवे जावरु
राजा रे गोसुन्डो मथुरा वण्यो
राजा रे दास मीराबाई री विनंत्ती

“जल झुलनी पर धरुपोल के बाहर बोले जाने वाले भजन”

गरजे मन वेगा पधारो हरि बोलो मेरा श्याम गरजे मन वेगा पधारो
काहे का खम्भ काहे की डोली
काहे का भवर लगाए हिन्दोलो हरि बोलो मेरा श्याम गरजे मन वेगा पधारो
आवो उखडा का खम्भ चन्दन की डोली
सोने का भवर लगाए हिन्दोलो हरि बोलो मेरा श्याम गरजे मन वेगा पधारो
आवो एक हिन्दे राधा एक हिन्दे रुकमण
एक हिन्दे कुवर कन्हैया हरि बोलो मेरा श्याम गरजे मन वेगा पधारो
आवो सुरदास प्रभु तुमरे भजन को
राधेजी खेले कन्हैया हरि बोले मेरा श्याम गरजे मन वेगा पधारो

“श्रावण”

नोट : फागो की अमावस को अंतिम में श्रावण बोला जाता है ।

आवो असाड रत रो हिन्दोलणोए, रेण की गमगोर
आवो मेघ गरजे वीज चमके आज डाडर मोर मुरली मधुरी
........................हर लाल श्रावण आयो लुम्ब जूम्ब |
आवोचालो सखी आप जल भर वा चाला, चाला सोरमजी रे घाटओ
आवो देखो झुलत गोपी ग्वाल जुले गिरधर लाल मुरली मधुरी
......................हर लाल श्रावण आयो लुम्ब जुम्ब |
आवो श्रावण आयो ए सखी फूली सब वनराय
फूल्या मरवा मोगरा फूली दाणम दाख मुरली मधुरी
हरलाल श्रावण आयो लुम्ब जुम्ब |
आवो कागज आयो ने लखनी पायो, लख भेजोवण देश
आवो लिखत सब ओपमाओ प्यारा, लिखोनी सर्व सन्देश मुरली
............................मधुरी हरलाल श्रावण आयो लुम्ब जुम्ब |
आवो रोज सुनी ने कहयो नही माने, अंग बागिया वेश
आवो उजरगाव कुमार मेता उलट्या मन भावियो
आवो आप जाए प्रभु द्वारका वसिया अंगबाजी रा वेद
आवो माने मारी सेज सईओ प्यारा, माने है प्रभुजी री आस मुरली मधुरी
............................हरलाल श्रावण आयो लुम्ब जुम्ब |

“चौमासा मे रसोडा के पास का भजन (कन्याशाला के पास)”

अब मौए द्वारका रा लाल हो कानजी शम्भू राधे प्यारी
अब तो सुती ने सपनो आवि यो राधे उबी अरज कर
अब जागोनी पल में प्रेमरा ओ राधे नेणा आगल उब्राजो कानजी शम्धू राधे प्यारी
अब तो वीरा तो वटाऊ पामणा ओराधे फगुआ जे जे हजूर
अब तो दूध नी धावे वासरुओ राधे किण विध छोडेला धीनओ
..........................कानजी शम्भू राधे प्यारी
अब तो अनरावन में खेलताओ राधे दे दे मुरली री तान
अब तो गोष्या जेडा बालमा ओ राधे मोत्या वचली लालओ कानजी शम्भू राधे प्यारी
अब तो वारी ओ जाऊमी गणो राधे, मगरा बोले अब मोर
अब आगन वाऊ एलसी ओ राधे पनघट नागर वेल
अब तो वीजजो चमके मी गणो राधे आयो श्रावण मास ओ कानजी शम्भू राधे प्यारी
अब तो आसाज मास सुहावनो राधे झरमर वरसे अब मेघ
अब तो जलराओ मोती नीप जेओ राधे, सीप समन्दर मास
......................पाके ओ कानजी शम्पू राधे प्यारी
अब तो काती तो कृष्ण पधारिया ओ राधे आनन्द आनन्द होय
अब तो दया करी ने प्रभू सुणलिज्यो खेमदास बलिहारी ओ कानजी शम्भू राधे प्यारी

“जल झुलनी मे भीलवाडा पर बोले जाने वाला भजन”

लाल प्यारे गावोनी गोपन हारे, ओ लाल प्यारे
एक डाडार मारे पपीहा जो बोले
ए लाल प्यारे गावोनी गोपन हारे
ए काली घटा एक वादली जो छाई
ए लाल प्यारे गावोनी गोपन हारे
ए लाल घटा गनगोर जो छाई
ए लाल प्यारे गालोनी गोपन हारे
ए डाडर मोर पपीहा जो बोले
ए लाल प्यारे गावोनी गोपन हारे
ए देवालो श्याम सावरियो दीनानाथ रे
ए लाल प्यारे गावोनी गोपन हारे

“जल झूलनी पर बाग | रेतुली राईण के पास बोले जान वाला भजन”

ए रघुजारी शोभा माने प्यारी ओ रघुजारी शोभा माने प्यारी
ए ग्वालियारी शोभा माने भारी
ए काली घंटा एक वादली जो छाई
ए रघुजारी शोभा माने प्यारी
ए दादर मोर पपीहा जो बोले
ए रघुजारी शोभा माने प्यारी
ए आज घटा गणगोर जो छाई
ए रघुजारी शोभा माने प्यारी
ए दादर मोर पपीहा जो बोले
ए रघुजारी शोभा माने प्यारी
ए देवालो श्याम सावरियो दीनानाथ
ए रघुजारी शोभा माने प्यारी

“जलझुलनी पर आमल्डा के चोखट पर बोले जाने वाला भजन”

आवो जल जमना मलियाओ राधे गोविन्दा
आवो गढ़से ग्वालन प्रभु उतरी
ज्यारे माथे है दहीडा रो सेजे माटे जल जमना मलियाओ राधे गोविंदा
आवो रबडी रे ग्वालनि प्रभु गुजरी
ऐ मेतो लेस्या दहीडा रो दान जल जमना मलियाओ राधे गोविंदा
आवो नेणा सुजत, मोती भरया
ऐ मेतो कब हून देस्या सेजे दान जल जमना मालियाओ राधे गोविंदा
आवो खास बनावट प्रभु खोपरा
ऐ मेतो लेस्या दहीडा रो सेजे दानजल जमना मालियाओ राधे गोविंदा
मे तो जाय पुकारु राजा कंस ने
ऐ थाने पकड मगांऊ रे गवालिया जल जमना मालियाओ राधे गोविंदा
आवो रावण सरीखा लख मारिया
ए थारो कंस कतरीक ए वार जल जमना मलियाओ राधे गोविंदा
आवो दास मीरा बाई री विनंती

“जल झुलनी मे वापस आते समय वाग | रेतुली राईण के पास बोले जाने वाला भजन”

ए एक सुणोनी ब्रजनारी ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी
ए चालो सखी आपा पाण्याने चाला ओढ़ कसुम्बल सारी
..................ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी
ओ सोना रुपारी गागर लीनी इंडोरणी अब न्यारी ओ
................एक वात सुणोनी ब्रजनारी
ए खास समन्द माए मीठी जो वेरी नीर भरे पनिहारी
...............ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी
ए आपजे छोटा ने गागर भारी कौन उचावण आई
................ओ एक बात सुणोनी ब्रजनारी
ए सुरदास प्रभु तुमरे भजन को तुम जीव्या हुम हारी
डे ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी है

“सखी री ओ धन धन सियाजी रो भाग ओ ए आरी ओ”

सखी री ओ धन धन सियाजी रो भाग ओ ए आरी ओ
रघुनाथ कुवँरवर पाई ।।
आवो देश देश रा राजा जो आये, आये है सब गोपाल
आवो एक नी आया अवधपूर से ओ ए कौन पेरे वरमाला
ए भाग ओ रघुनाथ कुवँरवर पाई ||
आवो पाँचलाख एतो बाहर खरचया दो लाख राज दरबार ।।
उआवो सात लाख चवइया माए खरचया ओ परण्या ए
अयोध्यारा राजा हे ओ भाग ये रघुनाथ कुवँरवर पाई ||
आवोसर्व श्रगांरचली ओ मारा प्रभुजी गई रे जनक दरबार ||
आवो देखत रुप सीया रघु हरसे ओ मगन भया ओ जानकी
ओ ऐ आरी ओ रघुनाथ कुवँरर ओ वर पाई ||
आवो दशरथ सरीखा ससुर हमारे सास कौशल्या माई | |
आवो लक्ष्मण सरीखा देवर हमारे रामचंद्र भरतार |
| ।। ताल फिरती है ।।
आवो गावी जो गावो ने सब मन हरखे कनक कलश वन्दावो ।।
आवो जानकी परणे अयोध्या पधारे घर घर मंगलाचार ।।
आवो मात कौशल्या करत आरती हो धन धन
सियाजी रो भाग ओ ए रघुनाथ कुर्वेरवर पाई ।|
आवो अग्रदास प्रभु चरणे आ जोडी हो धन धन
सियाजी रो भाग ओ ए आरीओ रघुनाथ कु्वँरवर पाई ||

“ए अखियन में मत डारो सावरे पिचकारी ओ आज ”

ए अखियन में मत डारो सावरे पिचकारी ओ आज
ए कालकी गुलाल पडीओ अखियन मे, अजहून भईयो गिरधारी
एक अजहून भई ओ गिरधारी
ए अनरावन री कुज गलियन में, भरभर मुठिये गुलाल ओमारी
एक अखियन मे मत डारो सावरे पिचकारी
अब धन धन भाग एललता हो पीया संग खेलो पियारी
ए पिया संग खेलो पियारी
अब ले दरपण में जोड ओ लाडली, सब तो गई ओ ब्रज नारी
ए अखियन में मत डारो सावरे पिचकारी
ए केशर माट भराऊ ओ लाडली, सब तो गोप्याने गिरधारी
ए सब तो गोप्याने गिरधारी
ए अंग अंग मारी अंगिया जो भीजे, भीज गई तन सारी
ए भीज गई ओ तन सारी
अब नाखन की नत बेसर तोडी, मोतीयन की लड मारी
ए अखियन मे मतडारो सावरे पिचकारी
ए मृगवन मोल मगांऊ ओ लाडली, सरीओ कसन पे डारी
आतो नवल कसन पे डारी
अब गोरा गोरा मगन वण्याओ मेरा मोहन
सब तो हसं ओ दे दे तारी
ए अखियन मे मत डारो सावरे पीचकारी
ए बाबा नन्दरी गडआ जो सारी मेवा मोल मगांई
ए मेवा मिश्री रो भोग लगाउओ हसेँ हसेँ लो गिरधारी
ए हसं लो गिरधारी
अब पिताम्बर धारी गेणे भेलो दीज्यो
फगुआ लो गिरधारी
फगुआ होवे न आनंद होवे अग्रदास बलिहारी
ए अखियन मे मत डारो सावरे पीचकारी

“ए रतवन्त हसं पिया प्यारे”

ए रतवन्त हसं पिया प्यारे
एक सुन्दर भरपिचकारी लाल
ए केसरभर लो पिचकारी लाल
ए रतवन्त हस पिचारी लाल
ए वाटत सरसत भरत बिराजे देखी देवाजी दरबारे
आवो उंची चढीए आतो मात जशोदा, कुँवर वण्योजी हदभारी
आवो सब सखियन मिली महन्त बिराजे, देखोनी राधा प्यारी
आवो कनक कटोरा मे केशर गोली, ले उनी राधा प्यारी
आवो बरज भानजी री कुवर राधिका सुणज्यो नी कृष्ण मुरारी
आवो हेरयो समुन्दर पार नी पायो कुच्छ बण्योजी हद भारी
आवो जाणे लिज्यो मारा सरिए कसनजी झुठी हे ब्रज
की नार हरके ए रतवन्त ....... हसं पिया प्यारे ....
यहाँ पर ताल फिरती है ।।।
आवो सब मिल ग्वालन फाग जो खेला गाबा लाडलान गाली
आवो रामजी मलयाओ मान फगुआ जो दिज्यो मेवा बोत मिठाई
आवो गगननाथ माने फगुआ जो दिज्यो, नरहर दास पास बलिहारी
ये रतवन्त हसं पिया प्यारे

“प्रत्येक दसम (१०) को अंतिम में बीरघंटा के नीचे बोली जाने वाली आरती (विदाई) ”

ए गावो नी मंगल गावो नी वदइयो
ए कलश बन्दावो नन्दलाल ए तो घर आया जी
ए पुसब वन्दावो नन्दलाल ए तो घर आया जी
ए राजा धनुष धरयो धरतीपरे
ए वडा रे वडा ए जो घर पुरियाओ माराज मलज्यो मेरा मोहन
ए तोडयो धनुष जनक सुख पाये
ए परणे पधारो राजा रुप रे दरबार ओ माराज मलज्यो मेरा मोहन
ए ढलकती ढाल फरुकत नेजा
ए मोलत ए आरकियो ए आरकियो
ए नारद मुनी जाणे शीश माए मरे
ए चल सखी उस रथ रंग मे बरे
ए रंग महल में काईमल काईमल मोतियन कियो सीताम्बर
के मल गावो ए नार अयोध्या पूर की ।।
ए अग्रदास को सल्यारा सतगुरु के मल मोतियन कियो
सीताम्बर के मल गावो ए नार अयोध्या पूर की ||

“जलझुलनी पर आमल्डा के चोखट पर बोले जाने वाला भजन”

आवो सरसंत मल्याओ राधे गोविंदा
आवो गढ़से ग्वालन प्रभु उतरी
ज्यारे माथे है दहीडा रो सेजे माटे जल जमना मलियाओ राधे गोविंदा
आवो रबडी रे ग्वालनि प्रभु गुजरी
ऐ मेतो लेस्या दहीडा रो दान जल जमना मलियाओ राधे गोविंदा
आवो नेणा सुजत, मोती भरया
ऐ मेतो कब हून देस्या सेजे दान जल जमना मालियाओ राधे गोविंदा
आवो खास बनावट प्रभु खोपरा
ऐ मेतो लेस्या दहीडा रो सेजे दानजल जमना मालियाओ राधे गोविंदा
मे तो जाय पुकारु राजा कंस ने
ऐ थाने पकड मगांऊ रे गवालिया जल जमना मालियाओ राधे गोविंदा
आवो रावण सरीखा लख मारिया
ए थारो कंस कतरीक ए वार जल जमना मलियाओ राधे गोविंदा
आवो दास मीरा बाई री विनंती

" आरती "

हा रे हा रे हा आनंद भयो
अब घर घर आनंद वदावो बोलावो
अब घर घर आनंद पुसब वन्दावो
अब घर घर घर आनंद कलश वन्दावो
अब घर घर आनंद प्रभुजी वन्दावो
अब घर चालो ए सखी आपी देखण चाला
ए नन्द राय जीरा कुवंर कन्हैया
अब जे जे कार बरे उपर वारे, पुसवन की वर्षा वर्षायी
ए मोर मुकूट पर कुन्डल शोभा,
मुरलीरी शोभा माने वर्णी जावे
अब सावरी सुरत पर राधेजी लपरायी
अबले हंसलो राणी रतन जडाई
गज मोतियन को चोक पुराउओ
अबले हंसलो राणी रतन जडाई हो
अब प्रभुजी री आरती मलमल होई
अब करत आरती मात जशोदा
कचंन थाल कपूर की बाती
अब ध्रुव प्रहलाद आरती उतारे
अब द्वारका में देवाजी आरती उतारे
अब देवाजी रो वचन रुपाला जी निभावे
अब अंग अंग री आस पुरायी ओ
अब खेमदास प्रभु भयो रे बलिहारी

“कुण्ड पर जाकर बोलेजाने वाला भजन”

जल जमना मलियाओ राधे गोपिका
आवो गढ़से ग्वालन प्रभु उत्तरी ज्यारे माथे दहीडारा सेजेमाट
सरसत मलिया ओ राधे गोपिका
आवो खडीरे ग्वालिनी प्रभु गुजरी
मेतो लेस्या दहीडा रो सेजे दान सरसत मल्याओ राधे गोपिका
आवो नेणा सुजत मोती भरया
मेतो कबहून देऊ थाने दान आवो सरसत मल्या ओ राधे गोपिका
आवो खास बनावट प्रभु खोपरा
मेतो लेस्या दहीडा रो सेजे दान सरसत मल्याओ राधे गोपिका
मेतो जाय पुकारु राजा कंस ने, थाने पकड मगांऊ रे गवालिया
एरावण सरीया लखमारिया, थारो कंस कतरीक सेजे वार
आवोसरसत्त मलियाओ राधे गोपिका
आवो दासमीराबाई री विनंती

माघ सुदी दसम (१०) के दिन वीरघंटा के नीचे का भजन”

अबतो जाइयेरा सोनारा रुपनारायण
अब दरसण दीज्यो ने हीयो सुख उपजे
हारे हा दरसण दरमल होई
अबमाता जो आपरी वाता सुणीजे
अब सेजनाथ ज्यारो
अबददेवल श्याम सुकलश वन्दावो ए
अब जाईयेरा सोनारा रुपनारायण

सखी नन्द कुमार ब्रज की नार
सखी कलश वन््दावो ए ब्रज की नार
सखी पुसब वन्दावो ए ब्रज की नार
आवो आम्बे मोर कसनार जो फूली
...............फुलाग सहीए ए सभी कलश बन््दावो ए ब्रज की नार ||
आवो नवनव सीर कसूम्बल पेश
................पेरणसहीएए सभी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार | |
आवो ताल मरदंग हसली जो वाजे
.................बाजण सहीए एसभी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार ||
आवो राधा नरुकमण फाग जो खेला
...............खेलण सहीए ए सखी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार ||
आवो महंत कबीरा सुणो रे भाई साधु हरिचरणा गुणे गई ओ
.......................एसखी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार | |

“भल जावो राजा रुपजी ”

भल जावो राजा रुपजी
आवो देख्या रुप भूप सब पुरब दर्शन रुपाला रो वचन आ सेवन्त्री
आवो वायर वाजे ने दीयो मेरा प्रभुजी, आऊला दशम री बेल
आवो उध्दव हसे प्रकाश जो दीज्यो दर्शन रुपाला रो वचन आ सेवन्त्री
आवो उचा मंदिर धजा आप विराजे, धरणे धपी रो मनाव
आवो आपरी जोत परकाश जो दिज्यो दर्शन रुपाला रों वचन ओ सेवन्त्री
आवोमन विश्वास न हीयो मेरा प्रभुजी , चल्या रे द्वारका का जाय
आवोशंख चक्र चारो भुज बिराजे गला माला तुलसी रो वचन आ सेवन्त्री
आवो दूरा देशा रा जातरी आवे दर्शन रुपाला रो वचन आ सेवन्त्री
आवो शीतल जल गोमती रो सहिज्ये दर्शन रुपाला रो वचन ओ सेवन्त्री

“सियाला में रसोडा के पास बोले जान वाला भजन”

आवो जनक सीता मोइयो दशरथ रा सब देवता
आवो बडे बडे भोपाल जो आये
दसम सख वेगा पधारो
आवो सबतो भएन की बाण मारयो, लक्ष्मण ज्यारे भाईयो दशरथ रा सब देवता
आवोएऐसो प्रण लियो है जानकी माता, रामचद्र वर मलज्यो विधाता
एजनक सुतारी ली है वरमाला, रामचंद्र जिज्यो गल माला
एकथन बनाए सुणिये अब साहेबा, चौरह भवन दोऊ मलज्यो रघुरामजी
एजायसीताजी पाय जो लागा, फेरलियो वरमाला ओ दसवा रा सब देवता
एसिताजी रो वचन सुणताए
ततताई ओ तत्काल रामजी ततआई धनुष तोडीयो ओ दसवा रा सब देवता
एपरशरामजी री सुणीए वार्ता, फरसारो होवे अयोध्या मे वासा
एदेखी ने सुणज्यो गावेला दासा, फरसारो होवे अयोध्या मे वासा
एसुरज कामी मगन भयो दासा, आनंद स्वरुपजस गावे ओ दशरथ रा सब देवता

" आरती "

हा रे हा रे हा आनंद भयो
अब घर घर आनंद वदावो बोलावो
अब घर घर आनंद पुसब वन्दावो
अब घर घर घर आनंद कलश वन्दावो
अब घर घर आनंद प्रभुजी वन्दावो
अब घर चालो ए सखी आपी देखण चाला
ए नन्द राय जीरा कुवंर कन्हैया
अब जे जे कार बरे उपर वारे, पुसवन की वर्षा वर्षायी
ए मोर मुकूट पर कुन्डल शोभा,
मुरलीरी शोभा माने वर्णी जावे
अब सावरी सुरत पर राधेजी लपरायी
अबले हंसलो राणी रतन जडाई
गज मोतियन को चोक पुराउओ
अबले हंसलो राणी रतन जडाई हो
अब प्रभुजी री आरती मलमल होई
अब करत आरती मात जशोदा
कचंन थाल कपूर की बाती
अब ध्रुव प्रहलाद आरती उतारे
अब द्वारका में देवाजी आरती उतारे
अब देवाजी रो वचन रुपाला जी निभावे
अब अंग अंग री आस पुरायी ओ
अब खेमदास प्रभु भयो रे बलिहारी